विदेश जाने का मन है

विदेश जाने का मन है मगर ये सोचूँ हूँ कि हो न जाऊँ कहीं दर-ब-दर ये सोचूँ हूँ   चला तो जाऊँ मगर कैसे भूल पाऊँगा चहकते दोस्त, महकती डगर ये सोचूँ हूँ   यहाँ की चाँदनी, ठण्डी हवा, महकती फ़िज़ा मिलेंगे ऐसे ही मौसम उधर? ये सोचूँ हूँ   यहाँ तो ममता के आँचल … Continue reading विदेश जाने का मन है